आज का श्लोक,
’विधानोक्ताः’ / ’vidhānoktāḥ’
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’विधानोक्ताः’ / ’vidhānoktāḥ’ - जैसा कि शास्त्र में विधान किया / कहा गया है,
अध्याय 17, श्लोक 24,
तस्मादोमित्युदाहृत्य यज्ञदानतपःक्रिया ।
प्रवर्तन्ते विधानोक्ताः सततं ब्रह्मवादिनाम् ॥
--
(तस्मात् ओम् इति उदाहृत्य यज्ञदानतपःक्रिया ।
प्रवर्तन्ते विधानोक्ताः सततं ब्रह्मवादिनाम् ॥)
--
भावार्थ :
(पिछले श्लोक 23 के क्रम में आगे, ...)
अतएव, वेदमन्त्रों का उच्चारण करनेवाले श्रेष्ट पुरुषों के द्वारा शास्त्रविधान में निर्दिष्ट यज्ञ, दान, तप आदि कार्यों का प्रारम्भ ’ओम्’ इस पद का उच्चारण करते हुए किया जाता है ।
--
’विधानोक्ताः’ / ’vidhānoktāḥ’ - as is declared appropriate in the scriptures,
Chapter 17, śloka 24,
tasmādomityudāhṛtya
yajñadānatapaḥkriyā |
pravartante vidhānoktāḥ
satataṃ brahmavādinām ||
--
(tasmāt om iti udāhṛtya
yajñadānatapaḥkriyā |
pravartante vidhānoktāḥ
satataṃ brahmavādinām ||)
--
Meaning :
(In continuation to the śloka 23, ...)
Therefore, The noble men who follow the Veda, begin their auspicious actions / rituals like sacrifice (yajña), charity (dāna), penance / austerities (tapa), by pronouncing the sacred term (om̐) .
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’विधानोक्ताः’ / ’vidhānoktāḥ’
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’विधानोक्ताः’ / ’vidhānoktāḥ’ - जैसा कि शास्त्र में विधान किया / कहा गया है,
अध्याय 17, श्लोक 24,
तस्मादोमित्युदाहृत्य यज्ञदानतपःक्रिया ।
प्रवर्तन्ते विधानोक्ताः सततं ब्रह्मवादिनाम् ॥
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(तस्मात् ओम् इति उदाहृत्य यज्ञदानतपःक्रिया ।
प्रवर्तन्ते विधानोक्ताः सततं ब्रह्मवादिनाम् ॥)
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भावार्थ :
(पिछले श्लोक 23 के क्रम में आगे, ...)
अतएव, वेदमन्त्रों का उच्चारण करनेवाले श्रेष्ट पुरुषों के द्वारा शास्त्रविधान में निर्दिष्ट यज्ञ, दान, तप आदि कार्यों का प्रारम्भ ’ओम्’ इस पद का उच्चारण करते हुए किया जाता है ।
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’विधानोक्ताः’ / ’vidhānoktāḥ’ - as is declared appropriate in the scriptures,
Chapter 17, śloka 24,
tasmādomityudāhṛtya
yajñadānatapaḥkriyā |
pravartante vidhānoktāḥ
satataṃ brahmavādinām ||
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(tasmāt om iti udāhṛtya
yajñadānatapaḥkriyā |
pravartante vidhānoktāḥ
satataṃ brahmavādinām ||)
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Meaning :
(In continuation to the śloka 23, ...)
Therefore, The noble men who follow the Veda, begin their auspicious actions / rituals like sacrifice (yajña), charity (dāna), penance / austerities (tapa), by pronouncing the sacred term (om̐) .
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