Saturday, August 30, 2014

आज का श्लोक, ’विज्ञानसहितम्’ / ’vijñānasahitam’

आज का श्लोक,
’विज्ञानसहितम्’ / ’vijñānasahitam’
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’विज्ञानसहितम्’ / ’vijñānasahitam’ - उसके व्यावहारिक पक्ष सहित,
अध्याय 9, श्लोक 1,

श्रीभगवानुवाच :
इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्यम्यनसूयवे ।
ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ॥
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(इदम् तु ते गुह्यतमम् प्रवक्ष्यामि अनसूयवे ।
ज्ञानम् विज्ञानसहितम् यत् ज्ञात्वा मोक्ष्यसे अशुभात् ॥)
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भावार्थ :
भगवान् श्रीकृष्ण बोले,
मैं यह परम रहस्यपूर्ण ज्ञान उसके विज्ञान सहित दोषदृष्टि से रहित तुम्हारे लिए कहूँगा, जिसे जानकर तुम अशुभ, दुःखरूप संसार से मुक्त हो जाओगे ।
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टिप्पणी :
अनुसूयु > अनसूयवे (चतुर्थी विभक्ति, एकवचन, संप्रदान के अर्थ में)  अन् + असूयु,  अद्वेष्टा, असूया = द्वेष, अनसूया = द्वेषरहित अर्थात् दोषदृष्टि से रहित ।
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’विज्ञानसहितम्’ / ’vijñānasahitam’ - with the way of its due application,

Chapter 9, śloka 1,

śrībhagavānuvāca :

idaṃ tu te guhyatamaṃ 
pravakṣyamyanasūyave |
jñānaṃ vijñānasahitaṃ 
yajjñātvā mokṣyase:'śubhāt ||
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(idam tu te guhyatamam 
pravakṣyāmi anasūyave |
jñānam vijñānasahitam 
yat jñātvā mokṣyase aśubhāt ||)
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Meaning :
Lord śrīkṛṣṇa said :
For you of pure heart, free from scepticism full of trust unconditional, I shall expound this secret wisdom with its entire science, having known which, you shall be liberated from the evil.
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