Monday, August 18, 2014

आज का श्लोक, ’विभुम्’ / ’vibhum’

आज का श्लोक,  ’विभुम्’ / ’vibhum’
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’विभुम्’ / ’vibhum’  - विभु (सर्वव्याप्त परमत्मा),

अध्याय 10, श्लोक 12,

अर्जुन उवाच :

परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान् ।
पुरुषं शाश्वतं दिव्यमादिदेवमजं विभुम्
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(परम् ब्रह्म परम् धाम पवित्रम् परमम् भवान् ।
पुरुषम् शाश्वतम् दिव्यम् आदिदेवम् अजम् विभुम् ॥)
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भावार्थ :
अर्जुन ने कहा :
आप परम ब्रह्म हैं, परम धाम, परम पवित्र पुरुष, शाश्वत, दिव्य, आदिदेव हैं, आप जन्मरहित और विश्वरूप हैं ।
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’विभुम्’ / ’vibhum’ - The Supreme Reality in the form of the manifestation,

Chapter 10, śloka 12,

paraṃ brahma paraṃ dhāma 
pavitraṃ paramaṃ bhavān |
puruṣaṃ śāśvataṃ divya-
mādidevamajaṃ vibhum ||
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(param brahma  param dhāma 
pavitram paramam bhavān |
puruṣam śāśvatam divyam 
ādidevam ajam vibhum ||)
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Meaning :
Arjuna said (To Lord śrīkṛṣṇa) :
You are The Brahman Supreme, The Abode Supreme, Holiest and Sacred. You are the Spirit Eternal, Divine, The Self Primal, Unborn and All-pervading.
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