आज का श्लोक
’विनश्यत्सु’ / ’vinaśyatsu’
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’विनश्यत्सु’ / ’vinaśyatsu’ - नश्वर वस्तुओं में, नाशवान् वस्तुओं में,
अध्याय 13, श्लोक 27,
समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तं परमेश्वरम् ।
विनश्यत्स्वविनश्यन्तं यः पश्यति स पश्यति ॥)
--
(समम् सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तम् परमेश्वरम् ।
विनश्यत्सु अविनश्यन्तम् यः पश्यति सः पश्यति ॥)
--
भावार्थ :
नाश को प्राप्त होते रहनेवाले सब चर अचर भूतों में अविनाशी समभाव से, समान रूप से विद्यमान परमेश्वर को जो देखता है, वही (सत्य को) देखता है ।
--
’विनश्यत्सु’ / ’vinaśyatsu’ - among the decaying, among the transient,
Chapter 13, śloka 27,
samaṃ sarveṣu bhūteṣu
tiṣṭhantaṃ parameśvaram |
vinaśyatsvavinaśyantaṃ
yaḥ paśyati sa paśyati ||)
--
(samam sarveṣu bhūteṣu
tiṣṭhantam parameśvaram |
vinaśyatsu avinaśyantam
yaḥ paśyati saḥ paśyati ||)
--
Meaning :
One who is aware that the Lord Imperishable as consciousness is always present there, in all beings that are born and subsequently die, is one who is really aware of the truth.
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’विनश्यत्सु’ / ’vinaśyatsu’
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’विनश्यत्सु’ / ’vinaśyatsu’ - नश्वर वस्तुओं में, नाशवान् वस्तुओं में,
अध्याय 13, श्लोक 27,
समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तं परमेश्वरम् ।
विनश्यत्स्वविनश्यन्तं यः पश्यति स पश्यति ॥)
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(समम् सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तम् परमेश्वरम् ।
विनश्यत्सु अविनश्यन्तम् यः पश्यति सः पश्यति ॥)
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भावार्थ :
नाश को प्राप्त होते रहनेवाले सब चर अचर भूतों में अविनाशी समभाव से, समान रूप से विद्यमान परमेश्वर को जो देखता है, वही (सत्य को) देखता है ।
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’विनश्यत्सु’ / ’vinaśyatsu’ - among the decaying, among the transient,
Chapter 13, śloka 27,
samaṃ sarveṣu bhūteṣu
tiṣṭhantaṃ parameśvaram |
vinaśyatsvavinaśyantaṃ
yaḥ paśyati sa paśyati ||)
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(samam sarveṣu bhūteṣu
tiṣṭhantam parameśvaram |
vinaśyatsu avinaśyantam
yaḥ paśyati saḥ paśyati ||)
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Meaning :
One who is aware that the Lord Imperishable as consciousness is always present there, in all beings that are born and subsequently die, is one who is really aware of the truth.
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