आज का श्लोक,
’विपरीतम्’ / ’viparītam’
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’विपरीतम्’ / ’viparītam’ - उसके विपरीत,
अध्याय 18, श्लोक 15,
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शरीरवाङ्गमनोभिर्यत्कर्म प्रारभते नरः ।
न्याय्यं वा विपरीतं वा पञ्चैते तस्य हेतवः ॥
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(शरीरवाङ्मनोभिः यत् कर्म प्रारभते नरः ।
न्याय्यम् वा विपरीतम् वा पञ्च एते तस्य हेतवः ॥)
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मनुष्य शरीर, वाणी, मन आदि से न्यायसम्मत या न्याय से विपरीत जिस किसी भी कर्म को आरम्भ करता है, उसे करने के हेतु (कारक, कार्यकारी तत्व, अधिष्ठान, कर्ता, करण, चेष्टा तथा दैव -पिछले श्लोक में विस्तार से वर्णित किए गए ये पाँच ) हैं।
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’विपरीतम्’ / ’viparītam’
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’विपरीतम्’ / ’viparītam’ - उसके विपरीत,
अध्याय 18, श्लोक 15,
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शरीरवाङ्गमनोभिर्यत्कर्म प्रारभते नरः ।
न्याय्यं वा विपरीतं वा पञ्चैते तस्य हेतवः ॥
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(शरीरवाङ्मनोभिः यत् कर्म प्रारभते नरः ।
न्याय्यम् वा विपरीतम् वा पञ्च एते तस्य हेतवः ॥)
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मनुष्य शरीर, वाणी, मन आदि से न्यायसम्मत या न्याय से विपरीत जिस किसी भी कर्म को आरम्भ करता है, उसे करने के हेतु (कारक, कार्यकारी तत्व, अधिष्ठान, कर्ता, करण, चेष्टा तथा दैव -पिछले श्लोक में विस्तार से वर्णित किए गए ये पाँच ) हैं।
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’विपरीतम्’ / ’viparītam’ -contrary to,
Chapter 18, śloka 15,
śarīravāṅgamanobhiryat-
karma prārabhate naraḥ |
nyāyyaṃ vā viparītaṃ vā
pañcaite tasya hetavaḥ ||
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(śarīravāṅmanobhiḥ yat
karma prārabhate naraḥ |
nyāyyam vā viparītam vā
pañca ete tasya hetavaḥ ||)
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Meaning :
Physical, verbal or mental, whatever right or wrong action one begins, these 5 factors (1.the seat / support of action / sense of self, / 2.the 'doer' / kartā, 3. organs of action, 4. various efforts, and 5. Destiny) are behind the action.
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