Friday, August 15, 2014

आज का श्लोक, ’विविक्तसेवी’ / ’viviktasevī’

आज का श्लोक,
’विविक्तसेवी’ / ’viviktasevī’
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’विविक्तसेवी’ / ’viviktasevī’ - एकान्त, शान्त, स्वच्छ, और कोलाहल से रहित स्थान में रहनेवाला,

अध्याय 18, श्लोक 52,

विविक्तसेवी लघ्वाशी यतवाक्कायमानसः ।
ध्यानयोगपरो नित्यं वैराग्यं समुपाश्रितः ॥

(विविक्तसेवी लघ्वाशी यतवाक्कायमानसः ।
ध्यानयोगपरः नित्यम् वैराग्यम् समुपाश्रितः ॥)
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भावार्थ : एकान्त, शान्त, स्वच्छ, और कोलाहल से रहित स्थान में रहनेवाला, हलका और नियमित आहार लेनेवाला, वाणी, शरीर और मन आदि को संयमित रखनेवाला, ध्यानयोग में सर्वदा तत्पर, और वैराग्य में दृढता से सुस्थिर, ...
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’विविक्तसेवी’ / ’viviktasevī’ - one, living at a solitary place away from noise and worldly people, 

Chapter 18, śloka 52,
 
viviktasevī laghvāśī 
yatavākkāyamānasaḥ |
dhyānayogaparo nityaṃ 
vairāgyaṃ samupāśritaḥ ||
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(viviktasevī laghvāśī 
yatavākkāyamānasaḥ |
dhyānayogaparaḥ nityam  
vairāgyam samupāśritaḥ ||)
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Meaning :
(The earnest seeker...) living at a solitary place away from noise and worldly people, taking light, moderate and sāttvika meals / food, having control over the speech, body and mind, devoted to the yoga of attention (dhyānayoga), cultivating aptitude of dispassion (vairāgya) ... 
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