Monday, August 11, 2014

आज का श्लोक, ’विसर्गः’ / ’visargaḥ’

आज का श्लोक, ’विसर्गः’ / ’visargaḥ’
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’विसर्गः’ / ’visargaḥ’ - विसृजन अर्थात् सृष्टि और प्रलय,

अध्याय 8, श्लोक 3,

श्री भगवान् उवाच :
अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते ।
भूतभावोद्भवकरो विसर्गः कर्मसञ्ज्ञितः ॥
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(अक्षरम् ब्रह्म परमम्  स्वभावः अध्यात्म-उच्यते ।
भूत-भाव-उद्भवकरः विसर्गः कर्मसञ्ज्ञितः ॥
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भावार्थ :
ब्रह्म अर्थात् परमात्मा तो नित्य अविकारी है, जबकि स्वभाव (प्रवृत्तियों का विशिष्ट समूह जो किसी देह के अस्तित्व में आने के साथ कार्यशील हो उठता है), को ’अध्यात्म’ अर्थात् ’जीव-भाव’ कहा जाता है । यह स्वभाव ही भूतों के उद्भव और उनकी गतिविधियों का एकमात्र कारण है, और ’स्वभाव’ की इस प्रकार की प्रवृत्ति-विशेष (’विसर्ग’ -’विसृज्’) अर्थात् ’त्याग’ / सृजन को ही ’कर्म’ का नाम दिया गया है ।
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*टिप्पणी :
(कृपया श्लोक 7, 8 अध्याय 9 में  ’विसृजामि’ देखिए ।)
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’विसर्गः’ / ’visargaḥ’ -  manifestation / dissolution and functioning of the existence *.

Chapter 8, śloka 3,

śrī bhagavān uvāca :

akṣaraṃ brahma paramaṃ
svabhāvo:'dhyātmamucyate |
bhūtabhāvodbhavakaro
visargaḥ karmasañjñitaḥ ||
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(akṣaram brahma paramam
svabhāvaḥ adhyātma-ucyate |
bhūta-bhāva-udbhavakaraḥ
visargaḥ karmasañjñitaḥ ||)
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Meaning :
śrī bhagavān kṛṣṇa said :
The 'akṣaraṃ brahma' / Immutable Reality is the 'parama' / Absolute One, The function that gives rise to material forms and beings is called the 'adhyātma' / 'spiritual'. And the process through which The Real manifests by way of mutation, through material-forms and beings, is called 'karma' / action.
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*Note :
(please check ’विसृजामि’ /  ’visṛjāmi’  in śloka 7 and 8 of Chapter 9) .
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