आज का श्लोक,
’सदसद्योनिजन्मसु ’ / ’sadasadyonijanmasu’
______________________________
’सदसद्जन्मसु’ / ’sadasadjanmasu’ - शुभ-अशुभ योनियों में
अध्याय 13, श्लोक 21,
पुरुषः प्रकृतिस्थो हि भुङ्क्ते प्रकृतिजान्गुणान् ।
कारणं गुणसङ्गोऽस्यः सदसद्योनिजन्मसु ॥
--
(पुरुषः हि प्रकृतिस्थः हि भुङ्क्ते प्रकृतिजान् गुणान् ।
कारणम् गुणसङ्गः अस्य सत्-असत्-योनि-जन्मसु ॥)
भावार्थ :
प्रकृति (अर्थात् उसके तीन गुणों) में रमा हुआ पुरुष ही, प्रकृति से उत्पन्न होनेवाले उन तीन गुणों का उपभोग करता है, और गुणों से उसकी ऐसी संलिप्तता ही उसके शुभ-अशुभ योनियों में जन्म लेने का कारण होती है ।
--
’सदसद्योनिजन्मसु ’ / ’sadasadyonijanmasu’ - in different good or evil yoni-s / wombs / births,
Chapter 13, śloka 21,
puruṣaḥ prakṛtistho hi
bhuṅkte prakṛtijānguṇān |
kāraṇaṃ guṇasaṅgo:'syaḥ
sadasadyonijanmasu ||
--
(puruṣaḥ hi prakṛtisthaḥ hi
bhuṅkte prakṛtijān guṇān |
kāraṇam guṇasaṅgaḥ asya
sat-asat-yoni-janmasu ||)
--
Meaning :
the deep involvement of soul (puruṣa), in the prakṛti (the three attributes generated by prakṛti), causes for his birth in a body through different good or evil wombs.
--
’सदसद्योनिजन्मसु ’ / ’sadasadyonijanmasu’
______________________________
’सदसद्जन्मसु’ / ’sadasadjanmasu’ - शुभ-अशुभ योनियों में
अध्याय 13, श्लोक 21,
पुरुषः प्रकृतिस्थो हि भुङ्क्ते प्रकृतिजान्गुणान् ।
कारणं गुणसङ्गोऽस्यः सदसद्योनिजन्मसु ॥
--
(पुरुषः हि प्रकृतिस्थः हि भुङ्क्ते प्रकृतिजान् गुणान् ।
कारणम् गुणसङ्गः अस्य सत्-असत्-योनि-जन्मसु ॥)
भावार्थ :
प्रकृति (अर्थात् उसके तीन गुणों) में रमा हुआ पुरुष ही, प्रकृति से उत्पन्न होनेवाले उन तीन गुणों का उपभोग करता है, और गुणों से उसकी ऐसी संलिप्तता ही उसके शुभ-अशुभ योनियों में जन्म लेने का कारण होती है ।
--
’सदसद्योनिजन्मसु ’ / ’sadasadyonijanmasu’ - in different good or evil yoni-s / wombs / births,
Chapter 13, śloka 21,
puruṣaḥ prakṛtistho hi
bhuṅkte prakṛtijānguṇān |
kāraṇaṃ guṇasaṅgo:'syaḥ
sadasadyonijanmasu ||
--
(puruṣaḥ hi prakṛtisthaḥ hi
bhuṅkte prakṛtijān guṇān |
kāraṇam guṇasaṅgaḥ asya
sat-asat-yoni-janmasu ||)
--
Meaning :
the deep involvement of soul (puruṣa), in the prakṛti (the three attributes generated by prakṛti), causes for his birth in a body through different good or evil wombs.
--
No comments:
Post a Comment