आज का श्लोक,
’सनातनाः’ / ’sanātanāḥ’
___________________________
’सनातनाः’ / ’sanātanāḥ’ - सदा से होते चले आए,
अध्याय 1, श्लोक 40,
कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः ।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत ॥
--
(कुलक्षये प्रणष्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः ।
धर्मे नष्टे कुलम् कृत्स्नम् अधर्मः अभिभवति-उत ॥)
--
भावार्थ :
कुल के नष्ट होने पर, नित्य, नैमित्तिक, आदि कुल के सनातन काल से चले आ रहे कुल के धर्म भी नष्ट हो जाते हैं । और धर्म के नष्ट हो जाने पर अधर्म का उद्भव और विस्तार होता है, तब अधर्म ही पनपता और फलता फूलता है ।
--
’सनातनाः’ / ’sanātanāḥ’ - age-old scriptural practices / traditions that run in the family since the times immemorial and supposed to be observed always.
Chapter 1, śloka 40,
kulakṣaye praṇaśyanti
kuladharmāḥ sanātanāḥ |
dharme naṣṭe kulaṃ kṛtsnam-
adharmo:'bhibhavatyuta ||
--
(kulakṣaye praṇaṣyanti
kuladharmāḥ sanātanāḥ |
dharme naṣṭe kulaṃ kṛtsnam
adharmaḥ bhavati-uta ||)
--
Meaning :
Once the clan is destroyed, the traditional rituals that have run so far since the times immemorial and need to be maintained for the well-being and prospering of the clan too disappear. And once those virtues (dharma) are destroyed, only the evil (adharma) prevails over.
--
’सनातनाः’ / ’sanātanāḥ’
___________________________
’सनातनाः’ / ’sanātanāḥ’ - सदा से होते चले आए,
अध्याय 1, श्लोक 40,
कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः ।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत ॥
--
(कुलक्षये प्रणष्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः ।
धर्मे नष्टे कुलम् कृत्स्नम् अधर्मः अभिभवति-उत ॥)
--
भावार्थ :
कुल के नष्ट होने पर, नित्य, नैमित्तिक, आदि कुल के सनातन काल से चले आ रहे कुल के धर्म भी नष्ट हो जाते हैं । और धर्म के नष्ट हो जाने पर अधर्म का उद्भव और विस्तार होता है, तब अधर्म ही पनपता और फलता फूलता है ।
--
’सनातनाः’ / ’sanātanāḥ’ - age-old scriptural practices / traditions that run in the family since the times immemorial and supposed to be observed always.
Chapter 1, śloka 40,
kulakṣaye praṇaśyanti
kuladharmāḥ sanātanāḥ |
dharme naṣṭe kulaṃ kṛtsnam-
adharmo:'bhibhavatyuta ||
--
(kulakṣaye praṇaṣyanti
kuladharmāḥ sanātanāḥ |
dharme naṣṭe kulaṃ kṛtsnam
adharmaḥ bhavati-uta ||)
--
Meaning :
Once the clan is destroyed, the traditional rituals that have run so far since the times immemorial and need to be maintained for the well-being and prospering of the clan too disappear. And once those virtues (dharma) are destroyed, only the evil (adharma) prevails over.
--
No comments:
Post a Comment