आज का श्लोक, ’शरीराणि’ / ’śarīrāṇi’
______________________________
’शरीराणि’ / ’śarīrāṇi’ - शरीर (बहुवचन),
अध्याय 2, श्लोक 22,
--
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि ।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही ॥
--
(वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरः अपराणि ।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णानि अन्यानि संयाति नवानि देही ॥)
--
भावार्थ :
जैसे पुराने वस्त्रों को त्यागकर मनुष्य दूसरे (नये) वस्त्रों को धारण कर लेता है, उसी प्रकार देही (देह से संयुक्त चेतन-सत्ता, जीव) भी (क्रमशः अनेक जन्मों से गुजरते हुए) विभिन्न शरीरों को त्यागता और अन्य दूसरे शरीरों को धारण / ग्रहण किया करता है ।
--
’शरीराणि’ / ’śarīrāṇi’ - body (bodies), - plural.
Chapter 2, shloka 22,
vāsāṃsi jīrṇāni yathā vihāya
navāni gṛhṇāti naro:'parāṇi |
tathā śarīrāṇi vihāya jīrṇā-
nyanyāni saṃyāti navāni dehī ||
--
(vāsāṃsi jīrṇāni yathā vihāya
navāni gṛhṇāti naraḥ aparāṇi |
tathā śarīrāṇi vihāya jīrṇāni
anyāni saṃyāti navāni dehī ||)
--
Meaning :
As a person puts off old worn-out cloths and puts on the other new ones, so also the consciousness (self) associated with the physical form (body) discards the old worn-out bodies and takes on newer bodies.
--
______________________________
’शरीराणि’ / ’śarīrāṇi’ - शरीर (बहुवचन),
अध्याय 2, श्लोक 22,
--
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि ।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही ॥
--
(वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरः अपराणि ।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णानि अन्यानि संयाति नवानि देही ॥)
--
भावार्थ :
जैसे पुराने वस्त्रों को त्यागकर मनुष्य दूसरे (नये) वस्त्रों को धारण कर लेता है, उसी प्रकार देही (देह से संयुक्त चेतन-सत्ता, जीव) भी (क्रमशः अनेक जन्मों से गुजरते हुए) विभिन्न शरीरों को त्यागता और अन्य दूसरे शरीरों को धारण / ग्रहण किया करता है ।
--
’शरीराणि’ / ’śarīrāṇi’ - body (bodies), - plural.
Chapter 2, shloka 22,
vāsāṃsi jīrṇāni yathā vihāya
navāni gṛhṇāti naro:'parāṇi |
tathā śarīrāṇi vihāya jīrṇā-
nyanyāni saṃyāti navāni dehī ||
--
(vāsāṃsi jīrṇāni yathā vihāya
navāni gṛhṇāti naraḥ aparāṇi |
tathā śarīrāṇi vihāya jīrṇāni
anyāni saṃyāti navāni dehī ||)
--
Meaning :
As a person puts off old worn-out cloths and puts on the other new ones, so also the consciousness (self) associated with the physical form (body) discards the old worn-out bodies and takes on newer bodies.
--
No comments:
Post a Comment