आज का श्लोक,
__________________________
अध्याय 16, श्लोक 9,
एतां दृष्टिमवष्टभ्य नष्टात्मानोऽल्पबुद्धयः ।
प्रभवन्त्युग्रकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः ॥
--
(एताम् दृष्टिम् अवष्टभ्य नष्टात्मानः अल्पबुद्धयः ॥
प्रभवन्ति उग्रकर्माणः क्षयाय जगतः अहिताः ॥)
--
भावार्थ :
(पिछले दो श्लोकों में जिनका वर्णन किया गया) इनकी भ्रमित दृष्टि को आधार बनाकर अपनी आत्मा को नष्ट करने वाले, क्रूर कर्म करनेवाले अल्पबुद्धि जगत् के अहित और विनाश करने में तत्पर रहते हैं ।
--
Chapter 16, śloka 9,
etāṃ dṛṣṭimavaṣṭabhya
naṣṭātmāno:'lpabuddhayaḥ |
prabhavantyugrakarmāṇaḥ
kṣayāya jagato:'hitāḥ ||
--
(etām dṛṣṭim avaṣṭabhya
naṣṭātmānaḥ alpabuddhayaḥ ||
prabhavanti ugrakarmāṇaḥ
kṣayāya jagataḥ ahitāḥ ||)
--
Meaning :
(Taking a clue from the confused views of such ignorant and audacious men of evil proclivities / āsurī prakṛti, as described in the earlier śloka 7 and 8), These dim-witted people, lacking conscience of their own, having destroyed themselves, keep on destroying the whole world also through their cruel deeds.
--
__________________________
अध्याय 16, श्लोक 9,
एतां दृष्टिमवष्टभ्य नष्टात्मानोऽल्पबुद्धयः ।
प्रभवन्त्युग्रकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः ॥
--
(एताम् दृष्टिम् अवष्टभ्य नष्टात्मानः अल्पबुद्धयः ॥
प्रभवन्ति उग्रकर्माणः क्षयाय जगतः अहिताः ॥)
--
भावार्थ :
(पिछले दो श्लोकों में जिनका वर्णन किया गया) इनकी भ्रमित दृष्टि को आधार बनाकर अपनी आत्मा को नष्ट करने वाले, क्रूर कर्म करनेवाले अल्पबुद्धि जगत् के अहित और विनाश करने में तत्पर रहते हैं ।
--
Chapter 16, śloka 9,
etāṃ dṛṣṭimavaṣṭabhya
naṣṭātmāno:'lpabuddhayaḥ |
prabhavantyugrakarmāṇaḥ
kṣayāya jagato:'hitāḥ ||
--
(etām dṛṣṭim avaṣṭabhya
naṣṭātmānaḥ alpabuddhayaḥ ||
prabhavanti ugrakarmāṇaḥ
kṣayāya jagataḥ ahitāḥ ||)
--
Meaning :
(Taking a clue from the confused views of such ignorant and audacious men of evil proclivities / āsurī prakṛti, as described in the earlier śloka 7 and 8), These dim-witted people, lacking conscience of their own, having destroyed themselves, keep on destroying the whole world also through their cruel deeds.
--
No comments:
Post a Comment