आज का श्लोक,
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अध्याय 7, श्लोक 23,
अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम् ।
देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि ॥
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(अन्तवत् तु फलम् तेषाम् तत् भवति अल्पमेधसाम् ।
देवान् देवयजः यान्ति मद्भकाः यान्ति माम्-अपि ॥)
--
भावार्थ :
(मुझसे अन्य देवताओं के पूजन से यद्यपि भक्तों की श्रद्धा के अनुसार मैं ही उन्हें अभीष्ट फल भी प्रदान करता हूँ किन्तु),
उन अल्पबुद्धि लोगों को प्राप्त होनेवाले वे फल अन्तयुक्त अर्थात् शीघ्र ही क्षीण हो जानेवाले होते हैं, देवताओं का पूजन करनेवाले देवताओं (अनित्य) को प्राप्त होते हैं, जबकि मेरी उपासना करनेवाले मुझ (नित्य) को ही ।
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Chapter 7, śloka 23,
antavattu phalaṃ teṣāṃ
tadbhavatyalpamedhasām |
devāndevayajo yānti
madbhaktā yānti māmapi ||
--
(antavat tu phalam teṣām
tat bhavati alpamedhasām |
devān devayajaḥ yānti
madbhakāḥ yānti mām-api ||)
--
Meaning :
(Those who worship divine entities, Though I fulfil their wishes),
The fruits so obtained by them are transient and are soon exhausted. Those who worship divine entities attain them, while those who worship ME, attain ME only.
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अध्याय 7, श्लोक 23,
अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम् ।
देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि ॥
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(अन्तवत् तु फलम् तेषाम् तत् भवति अल्पमेधसाम् ।
देवान् देवयजः यान्ति मद्भकाः यान्ति माम्-अपि ॥)
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भावार्थ :
(मुझसे अन्य देवताओं के पूजन से यद्यपि भक्तों की श्रद्धा के अनुसार मैं ही उन्हें अभीष्ट फल भी प्रदान करता हूँ किन्तु),
उन अल्पबुद्धि लोगों को प्राप्त होनेवाले वे फल अन्तयुक्त अर्थात् शीघ्र ही क्षीण हो जानेवाले होते हैं, देवताओं का पूजन करनेवाले देवताओं (अनित्य) को प्राप्त होते हैं, जबकि मेरी उपासना करनेवाले मुझ (नित्य) को ही ।
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Chapter 7, śloka 23,
antavattu phalaṃ teṣāṃ
tadbhavatyalpamedhasām |
devāndevayajo yānti
madbhaktā yānti māmapi ||
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(antavat tu phalam teṣām
tat bhavati alpamedhasām |
devān devayajaḥ yānti
madbhakāḥ yānti mām-api ||)
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Meaning :
(Those who worship divine entities, Though I fulfil their wishes),
The fruits so obtained by them are transient and are soon exhausted. Those who worship divine entities attain them, while those who worship ME, attain ME only.
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