Sunday, September 14, 2014

आज का श्लोक, ’रहस्यम्’ / ’rahasyam’

आज का श्लोक, ’रहस्यम्’ / ’rahasyam’
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’रहस्यम्’ / ’rahasyam’ - रहस्य, मर्म,

अध्याय 4, श्लोक 3,
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स एवायं मया तेऽद्य योगः प्रोक्तः पुरातनः ।
भक्तोऽसि मे सखा चेति रहस्यं ह्येतदुत्तमम् ॥
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(सः एव अयम् मया ते अद्य योगः प्रोक्तः पुरातनः ।
भक्तः असि मे सखा च इति रहस्यम् हि एतत् उत्तमम् ॥)
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भावार्थ :
वही पुरातन योग मेरे द्वारा आज तुम्हारे लिए कहा गया, क्योंकि तुम मेरे भक्त और प्रिय सखा हो और यह (योग) अत्यन्त श्रेष्ठ एक रहस्य है, इसलिए ।
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’रहस्यम्’ / ’rahasyam’ - secret, mystery,
 
Chapter 4, śloka 3,

sa evāyaṃ mayā te:'dya 
yogaḥ proktaḥ purātanaḥ |
bhakto:'si me sakhā ceti 
rahasyaṃ hyetaduttamam ||
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(saḥ eva ayam mayā te adya 
yogaḥ proktaḥ purātanaḥ |
bhaktaḥ asi me sakhā ca iti 
rahasyam hi etat uttamam ||)
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Meaning :
The very same (Yoga) is imparted by Me unto you today, (as) you are My devotee, and also a beloved friend, and this mystery is the most holy, sacred and a deep secret.
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