आज का श्लोक, 2/11,
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अध्याय 2, श्लोक 11,
अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषते ।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
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(अशोच्यान् अन्वशोचः त्वं प्रज्ञावादान् च भाषसे ।
गतासून् अगतासून् च न अनुशोचन्ति पण्डिताः ॥)
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भावार्थ :
जिनके लिए शोक करना उचित नहीं है, उनके लिए तुम शोक कर रहे हो, और विद्वानों जैसे वचन कह रहे हो । जिनके प्राण जा चुके हैं, अथवा जिनके प्राण नहीं गए, अर्थात् मृत या जीवित किसी के लिए भी पण्डित कभी शोक नहीं करते ।
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Chapter 2, śloka 11,
aśocyānanvaśocastvaṃ
prajñāvādāṃśca bhāṣate |
gatāsūnagatāsūṃśca
nānuśocanti paṇḍitāḥ ||
--
(aśocyān anvaśocaḥ tvaṃ
prajñāvādān ca bhāṣase |
gatāsūn agatāsūn ca
na anuśocanti paṇḍitāḥ ||)
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Meaning :
(Though) you speak like the learned, and grieve for those who should not be mourned for. The wise never grieve, -Neither for the dead, nor for those who are alive.
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अध्याय 2, श्लोक 11,
अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषते ।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
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(अशोच्यान् अन्वशोचः त्वं प्रज्ञावादान् च भाषसे ।
गतासून् अगतासून् च न अनुशोचन्ति पण्डिताः ॥)
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भावार्थ :
जिनके लिए शोक करना उचित नहीं है, उनके लिए तुम शोक कर रहे हो, और विद्वानों जैसे वचन कह रहे हो । जिनके प्राण जा चुके हैं, अथवा जिनके प्राण नहीं गए, अर्थात् मृत या जीवित किसी के लिए भी पण्डित कभी शोक नहीं करते ।
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Chapter 2, śloka 11,
aśocyānanvaśocastvaṃ
prajñāvādāṃśca bhāṣate |
gatāsūnagatāsūṃśca
nānuśocanti paṇḍitāḥ ||
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(aśocyān anvaśocaḥ tvaṃ
prajñāvādān ca bhāṣase |
gatāsūn agatāsūn ca
na anuśocanti paṇḍitāḥ ||)
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Meaning :
(Though) you speak like the learned, and grieve for those who should not be mourned for. The wise never grieve, -Neither for the dead, nor for those who are alive.
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