Sunday, September 14, 2014

आज का श्लोक, ’राजगुह्यम्’ ’rājaguhyam ’

आज का श्लोक,
’राजगुह्यम्’ ’rājaguhyam ’  
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’राजगुह्यम्’ ’rājaguhyam - सर्वाधिक गूढ, रहस्यमय,

अध्याय 9, श्लोक 2,

राजविद्या राजगुह्यं पवित्रमिदमुत्तमम् ।
प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम् ॥
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(राजविद्या राजगुह्यम् पवित्रम् इदम् उत्तमम् ।
प्रत्यक्ष अवगमम् धर्म्यम् सुसुखम् कर्तुम् अव्ययम् ॥)
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भावार्थ :
यह राजविद्या, सर्वाधिक गुह्य, पवित्र तथा उत्तम विद्या है । इसका अवगम (समझकर बुद्धि में धारण करना और अभ्यास करना) धर्म के अनुकूल, अत्यन्त सुखदायी तथा किए जाने योग्य (व्यावहारिक) अनन्त अविनाशी फलवाला है ।
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’राजगुह्यम्’ ’rājaguhyam - The most secret,

Chapter 9, śloka 2,

rājavidyā rājaguhyaṃ 
pavitramidamuttamam |
pratyakṣāvagamaṃ dharmyaṃ
susukhaṃ kartumavyayam ||
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(rājavidyā rājaguhyam 
pavitram idam uttamam |
pratyakṣa avagamam dharmyam
susukham kartum avyayam ||)
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Meaning :
This king of learning (rājavidyā) is the wisdom most secret, sacred and Supreme. It is directly grasped and learnt, it is worth practicing, easily followed, resulting in bliss ever-lasting and supreme.
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