Thursday, September 18, 2014

6/16,

आज का श्लोक,
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अध्याय 6, श्लोक 16,

नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नतः ।
न चाति स्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन ॥
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(न अति अश्नतः योगः अस्ति न च एकान्तम् अनश्नतः ।
न च अति स्वप्नशीलस्य जाग्रतः न एव च अर्जुन ॥)
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भावार्थ :
यह योगसाधन हे अर्जुन ! न तो बहुत खानेवाले के लिए और न बिल्कुल ही न खाने वाले के लिए, न तो बहुत सोनेवाले के लिए, और न बहुत जागते रहने वाले के लिए सरल है ।
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Chapter 6, śloka 16,

nātyaśnatastu yogo:'sti
na caikāntamanaśnataḥ |
na cāti svapnaśīlasya
jāgrato naiva cārjuna ||
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(na ati aśnataḥ yogaḥ asti
na ca ekāntam anaśnataḥ |
na ca ati svapnaśīlasya
jāgrataḥ na eva ca arjuna ||)
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Meaning :
This practice of yoga is not (easy) for one who takes food in big quantities, neither for one, who keeps on fasting strictly. This practice of yoga is not (easy) for one who sleeps too much, nor for one who keeps awake always.
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Note :
In summary,  yoga is (easy) for one, who is moderate in food and sleep.
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