Tuesday, September 30, 2014

18/69,

आज का श्लोक,
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अध्याय 18, श्लोक 69,

न च तस्मान्मनुष्येषु कश्चिन्मे प्रियकृत्तमः ।
भविता न च मे तस्मादन्यः प्रियतरो भुवि ॥
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(न च तस्मात् मनुष्येषु कश्चित् मे प्रियकृत्तमः ।
भविता न च मे तस्मात् अन्यः प्रियतरः भुवि ॥)
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भावार्थ :
(पिछले श्लोक में जिसका वर्णन किया गया), मनुष्यों में उससे बढ़कर मेरे लिए और कोई नहीं है, और न उससे बढ़कर मेरा प्रिय कार्य करनेवाला कोई है । सम्पूर्ण पृथ्वी पर भी मुझको उससे अधिक प्रिय होनेवाला कोई और नहीं हो सकता ।
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Chapter 18, śloka 69,

na ca tasmānmanuṣyeṣu
kaścinme priyakṛttamaḥ |
bhavitā na ca me tasmā-
danyaḥ priyataro bhuvi ||
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(na ca tasmāt manuṣyeṣu
kaścit me priyakṛttamaḥ |
bhavitā na ca me tasmāt
anyaḥ priyataraḥ bhuvi ||)
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Meaning :
(In continuation to the last śloka 68 of this Chapter), Other than him there is no one among men, who has done My work that I love supreme. And on the earth, there will no one other than him, that would be My Most beloved.    
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