Wednesday, September 24, 2014

आज का श्लोक, ’रणसमुद्यमे’ / ’raṇasamudyame’

आज का श्लोक,
’रणसमुद्यमे’ / ’raṇasamudyame’  
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’रणसमुद्यमे’ / ’raṇasamudyame’  - युद्ध रूपी उद्योग में,

अध्याय 1, श्लोक 22,

यावदेतान्निरीक्ष्येऽहं योद्धुकामानवस्थितान् ।
कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन्रणसमुद्यमे ॥
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(यावत् एतान् निरीक्ष्ये अहम् योद्धुकामान् अवस्थितान् ।
कैः मया सह योद्धव्यम् अस्मिन् रणसमुद्यमे ॥)
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भावार्थ :
जब तक मैं रणक्षेत्र में डटे, युद्ध की अभिलाषा से आए हुए, विरोधी पक्ष के योद्धाओं को एवम् यह कि इस युद्ध रूपी उद्योग में, इस संग्राम में उनमें से किस-किससे मुझे युद्ध करना योग्य है, यह देख लूँ, ...
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’रणसमुद्यमे’ / ’raṇasamudyame’ - in this enterprise, that is this war,

Chapter 1, śloka 22,

yāvadetānnirīkṣye:'haṃ 
yoddhukāmānavasthitān |
kairmayā saha yoddhavya-
masminraṇasamudyame ||
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(yāvat etān nirīkṣye aham 
yoddhukāmān avasthitān |
kaiḥ mayā saha yoddhavyam 
asmin raṇasamudyame ||)
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Meaning :
Until I observe all those warriors who have come here with a wish to engage in the war, and who I deserve to have a fight with, and who is worthy of this,  in this enterprise, that is this war,..., 
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