आज का श्लोक,
’लुप्तपिण्डोदकक्रियाः’ / ’luptapiṇḍodakakriyāḥ’
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’लुप्तपिण्डोदकक्रियाः’/ ’luptapiṇḍodakakriyāḥ’ - मृतात्माओं के तर्पण के लिए की जानेवाली शास्त्रविहित पिण्डदान की रीति का लुप्त हो जाना ,
अध्याय 1, श्लोक 42,
सङ्करो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च ।
पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः ॥
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(सङ्करः नरकाय एव कुलघ्नानाम् कुलस्य च ।
पतन्ति पितरः हि एषाम् लुप्तपिण्डोदकक्रियाः ॥)
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भावार्थ :
मिश्रितवर्ण संतान का जन्म उन कुलघातियों को और कुल को नरक में ले जाने का ही हेतु होता है । (क्योंकि) पितरों को शास्त्रविहित रीति से पिण्डदान तथा जल का तर्पण आदि श्राद्धकार्य तब नहीं होता, और इसलिए वे नरक अर्थात् अधोगति को प्राप्त होते हैं ।
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’लुप्तपिण्डोदकक्रियाः’ / ’luptapiṇḍodakakriyāḥ’
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’लुप्तपिण्डोदकक्रियाः’/ ’luptapiṇḍodakakriyāḥ’ - मृतात्माओं के तर्पण के लिए की जानेवाली शास्त्रविहित पिण्डदान की रीति का लुप्त हो जाना ,
अध्याय 1, श्लोक 42,
सङ्करो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च ।
पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः ॥
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(सङ्करः नरकाय एव कुलघ्नानाम् कुलस्य च ।
पतन्ति पितरः हि एषाम् लुप्तपिण्डोदकक्रियाः ॥)
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भावार्थ :
मिश्रितवर्ण संतान का जन्म उन कुलघातियों को और कुल को नरक में ले जाने का ही हेतु होता है । (क्योंकि) पितरों को शास्त्रविहित रीति से पिण्डदान तथा जल का तर्पण आदि श्राद्धकार्य तब नहीं होता, और इसलिए वे नरक अर्थात् अधोगति को प्राप्त होते हैं ।
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’लुप्तपिण्डोदकक्रियाः’/ ’luptapiṇḍodakakriyāḥ’ - cessation of the rituals of offerings with water made to the departed souls in the family,
Chapter 1, śloka 42,
saṅkaro narakāyaiva
kulaghnānāṃ kulasya ca |
patanti pitaro hyeṣāṃ
luptapiṇḍodakakriyāḥ ||
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(saṅkaraḥ narakāya eva
kulaghnānām kulasya ca |
patanti pitaraḥ hi eṣām
luptapiṇḍodakakriyāḥ ||)
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Meaning :
Such offspring born of mixing of different races leads the ancestors to hell, because then the traditional rituals of offerings of water and other substances to them ( piṇḍodakakriyāḥ / śrāddha) according to the scriptural injunctions in the form of (śrāddha) is performed no more.
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