आज का श्लोक, ’वद’ / ’vada’
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’वद’ / ’vada’ - कहो, बोलो,
अध्याय 3, श्लोक 2,
व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे ।
तदेकं वद निश्चित्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम् ।
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(व्यामिश्रेण-इव वाक्येन बुद्धिम् मोहयसि-इव मे ।
तत्-एकम् वद निश्चित्य येन श्रेयः अहम् आप्नुयाम् ॥)
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भावार्थ :
(अर्जुन बोले): मिले-जुले तात्पर्यवाले जैसे मिश्रित वाक्यों से मुझे लगता है कि आप मेरी बुद्धि को मानों भ्रमित कर रहे हों । इसलिए ऐसा कुछ एक सुनिश्चित कर कहें कि जिससे मुझे श्रेयस्कर की प्राप्ति हो ।
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’वद’ / ’vada’ - कहो, बोलो,
अध्याय 3, श्लोक 2,
व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे ।
तदेकं वद निश्चित्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम् ।
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(व्यामिश्रेण-इव वाक्येन बुद्धिम् मोहयसि-इव मे ।
तत्-एकम् वद निश्चित्य येन श्रेयः अहम् आप्नुयाम् ॥)
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भावार्थ :
(अर्जुन बोले): मिले-जुले तात्पर्यवाले जैसे मिश्रित वाक्यों से मुझे लगता है कि आप मेरी बुद्धि को मानों भ्रमित कर रहे हों । इसलिए ऐसा कुछ एक सुनिश्चित कर कहें कि जिससे मुझे श्रेयस्कर की प्राप्ति हो ।
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’वद’ / ’vada’ - say, speak,
Chapter 3, śloka 2,
vyāmiśreṇeva vākyena
buddhiṃ mohayasīva me |
tadekaṃ vada niścitya
yena śreyo:'hamāpnuyām |
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(vyāmiśreṇa-iva vākyena
buddhim mohayasi-iva me |
tat-ekam vada niścitya
yena śreyaḥ aham āpnuyām ||)
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Meaning :
(arjuna said) : Your words seem to conflict and confuse my intellect, therefore please advise me in the appropriate words the exact way so that I may achieve what is the highest good (śreyaḥ) for me.
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