आज का श्लोक,
’वश्यात्मना’ / ’vaśyātmanā’
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’वश्यात्मना’ / ’vaśyātmanā’ - मन को वश में करनेवाले के लिए,
अध्याय 6, श्लोक 36,
असंयतात्मना योगो दुष्प्राप इति मे मतिः ।
वश्यात्मना तु यतता शक्योऽवाप्तुमुपायतः ॥
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(असंयतात्मना योगः दुष्प्रापः इति मे मतिः ।
वश्यात्मना तु यतता शक्यः अवाप्तुम् उपायतः ॥)
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भावार्थ :
जिसके मन, इन्द्रियाँ, बुद्धि आदि वश में नहीं हैं, उसके लिए योग की प्राप्ति करना अत्यन्त कठिन है, ऐसा मेरा मत है । किन्तु जिसके मन, बुद्धि और इन्द्रियाँ वश में हैं उसके द्वारा यत्न किए जाने पर उचित उपाय द्वारा उसे योग की प्राप्ति अवश्य संभव है ।
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’वश्यात्मना’ / ’vaśyātmanā’
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’वश्यात्मना’ / ’vaśyātmanā’ - मन को वश में करनेवाले के लिए,
अध्याय 6, श्लोक 36,
असंयतात्मना योगो दुष्प्राप इति मे मतिः ।
वश्यात्मना तु यतता शक्योऽवाप्तुमुपायतः ॥
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(असंयतात्मना योगः दुष्प्रापः इति मे मतिः ।
वश्यात्मना तु यतता शक्यः अवाप्तुम् उपायतः ॥)
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भावार्थ :
जिसके मन, इन्द्रियाँ, बुद्धि आदि वश में नहीं हैं, उसके लिए योग की प्राप्ति करना अत्यन्त कठिन है, ऐसा मेरा मत है । किन्तु जिसके मन, बुद्धि और इन्द्रियाँ वश में हैं उसके द्वारा यत्न किए जाने पर उचित उपाय द्वारा उसे योग की प्राप्ति अवश्य संभव है ।
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’वश्यात्मना’ / ’vaśyātmanā’ - for one who has restrained the mind, body and senses,
Chapter 6, śloka 36,
asaṃyatātmanā yogo
duṣprāpa iti me matiḥ |
vaśyātmanā tu yatatā śakyo:
'vāptumupāyataḥ ||
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(asaṃyatātmanā yogaḥ
duṣprāpaḥ iti me matiḥ |
vaśyātmanā tu yatatā śakyaḥ
avāptum upāyataḥ ||)
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Meaning :
I say: attaining yoga is very difficult for one who has no control over his body, mind and senses. And it is also true that Yoga is attainable for one who, keeping his body mind and senses under control makes right efforts for this goal.
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