Tuesday, September 2, 2014

आज का श्लोक, ’विगतः’ / ’vigataḥ’

आज का श्लोक, ’विगतः’ / ’vigataḥ’
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’विगतः’ / ’vigataḥ’ - मिट गया, जा चुका,

अध्याय 11, श्लोक 1,

अर्जुन उवाच :
मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मज्ञानसञ्ज्ञितम् ।
यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ॥
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(मदनुग्रहाय परमम् गुह्यम् अध्यात्मज्ञानसञ्ज्ञितम् ।
यत् त्वया उक्तम् वचः तेन मोहः अयम्  विगतः मम ॥)
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भावार्थ :
अर्जुन बोले :
(हे कृष्ण!) मुझ पर अनुग्रह करने के लिए आपने अध्यात्मविषयक परम रहस्यमय जो वचन कहे, उनसे मेरा यह मोह (संशय) मिट गया ।
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’विगतः’ / ’vigataḥ’  - is dissolved, disappeared, gone,

Chapter 11, śloka 1,

arjuna uvāca :

madanugrahāya paramaṃ
guhyamadhyātmajñānasañjñitam |
yattvayoktaṃ vacastena
moho:'yaṃ vigato mama ||
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(madanugrahāya paramam
guhyam adhyātmajñānasañjñitam |
yat tvayā uktam vacaḥ tena
mohaḥ ayam vigataḥ mama ||)
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Meaning :
arjuna said :
(O kṛṣṇa!) Being gracious to me, You have taught me through your words the Supreme secret of the knowledge related to the spiritual, and my delusion is dispelled .  
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